परलोक की यात्रा (8 का भाग 3): न्याय के दिन आस्तिक
विवरण: आस्तिक लेखे-जोखे के दिन कैसा अनुभव करेंगे, और आस्तिको के कुछ गुण जो स्वर्ग के द्वार तक जाने वाले उनके मार्ग को सरल बना देंगे।
- द्वारा Imam Mufti (co-author Abdurrahman Mahdi)
- पर प्रकाशित 04 Nov 2021
- अंतिम बार संशोधित 04 Nov 2021
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प्रलय का दिन
"उस दिन इन्सान अपने भाई से भागेगा, तथा अपने माता और पिता से, एवं अपनी पत्नी तथा अपने पुत्रों से। क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति को उस दिन अपनी पड़ी होगी। " (क़ुरआन 80:34-37)
पुनरुत्थान की घटना एक भयानक, भीषण समय होगा। फिर भी, इसके आघात के बावजूद, आस्तिक आनंदित होगा, जैसे कि पैगंबर मुहम्मद (ईश्वर की दया और कृपा उन पर बनी रहे) ने ईश्वर की ओर से हमें बताया।:
ईश्वर कहता है, "मेरी महिमा और महात्म्य से, मैं अपने दास को दो प्रतिभूतियां और दो भय नहीं दूंगा। यदि वह दुनिया में मुझ से सुरक्षित महसूस करता था [1], तो जिस दिन मैं अपने दासों को एक साथ इकट्ठा करूंगा, उस दिन मैं उसमें डर पैदा करूंगा और यदि वह दुनिया में मुझ से डरता था, तो जिस दिन मैं अपने दासों को इकट्ठा करूंगा, उस दिन मैं उसको सुरक्षित अनुभव कराऊंगा।"[2]
"सुनो! जो ईश्वर के मित्र हैं, न उन्हें कोई भय होगा और न वे उदासीन होंगे: वे जो आस्था रखते थे और ईश्वर से डरते थे (इस जीवन में); उनके लिए सांसारिक जीवन और परलोक में शुभ सूचना है। ईश्वर के वचनों में कोई परिवर्तन नहीं होता है। वास्तव में यह बड़ी सफलता है।“ (क़ुरआन 10:62-64)
जब आज तक जन्मे सभी मनुष्यों को सूर्य के भीषण ताप के नीचे एक विशाल मैदान पर नग्न और खतनारहित खड़े होने के लिए एकत्र किया जायेगा, तो धार्मिक पुरुषों और महिलाओं का एक समूह ईश्वर के सिंहासन के नीचे छाया में रहेगा। पैगंबर मुहम्मद ने भविष्यवाणी की थी कि उस दिन ये भाग्यशाली आत्माएं कौन होंगी, जब कोई अन्य छत्र-छाया उपलब्ध नहीं होगी:[3]
·न्यायी शासक जिसने अपनी शक्ति का दुरुपयोग नहीं किया, वरन् लोगों के बीच दैवीय रूप से प्रकट न्याय की स्थापना की
·ऐसा युवक जो अपने ईश्वर की पूजा करते हुए बड़ा हुआ और जिसने पवित्र रहने के लिए अपनी इच्छाओं को नियंत्रण में रखा
·जिनके ह्रदय मस्जिदों से जुड़े हुए थे, हर बार जब वे वहां से जाते थे तो लौटने की लालसा रखते थे
·जो ईश्वर के लिए एक दूसरे से प्रेम करते थे
·वे जो सुंदर मोहिनी स्त्रियों द्वारा लुभाए गए थे, लेकिन ईश्वर के भय ने उन्हें पाप करने से रोक दिया
·जिसने ईश्वर के लिए ईमानदारी से दान में खर्च किया, और अपने दान को गुप्त रखा
·वह जो एकांत में ईश्वर के भय से रोया
पूजा के विशिष्ट कार्य भी उस दिन लोगों को सुरक्षित रखेंगे, अर्थात्:
·इस संसार में व्यथित लोगों के कष्ट दूर करने, दरिद्रों की सहायता करने, और दूसरों की गलतियों को अनदेखा करने और क्षमा करने के प्रयासों से प्रलय और न्याय के दिन पर लोगों के स्वयं के संकट दूर होंगे[4]
·ऋणग्रस्तों के प्रति उदारता दिखाना[5]
·न्यायी लोग जो अपने परिवारों और उन्हें सौंपे गए विषयों के प्रति न्यायपूर्ण हैं[6]
·क्रोध पर नियंत्रण में रखना[7]
·जो कोई प्रार्थना के लिए बुलाता है[8]
·इस्लाम की अवस्था में वृद्ध होना[9]
·नियमित रूप से और ठीक से धार्मिक रीतिनुसार मज्जन स्नान (वुजू) करना[10]
·जो मरियम के पुत्र यीशु के तरफ से मसीह विरोधी और उसकी सेना के विरुद्ध लड़ते हैं[11]
·शहीद
ईश्वर आस्तिक को अपने पास लाएंगे, उसे आश्रय देंगे, उसे आवरण देंगे, और उससे उसके पापों के बारे में पूछेंगे। अपने पापों को स्वीकार करने के बाद वह सोचेगा कि वह अपराधी है और विनाश सुनिश्चित है, किन्तु ईश्वर कहेंगे:
"मैंने इसे तुम्हारे लिए दुनिया में छुपा कर रखा है, और मैं इसे आज के दिन तुम्हारे लिए क्षमा करता हूँ।"
उसकी कमियों के लिए उसे फटकार लगाई जाएगी,[12]परन्तु उसके बाद उसके अच्छे कामों का लेखा-जोखा उसके दाहिने हाथ में दे दिया जाएगा।[13]
"फिर जिस को उसका लेखा-जोखा उसके दाहिने हाथ में दिया जाएगा, उसका न्याय दयालुता से किया जाएगा और वह प्रसन्नतापूर्वक अपने लोगों के पास लौटेगा।" (क़ुरआन 84:7-8)
अपने अभिलेख को देखकर प्रसन्नपूर्वक, वह अपने हर्ष की घोषणा करेगा:
"फिर जिसे दिया जायेगा उसका कर्मपत्र दायें हाथ में, वह कहेगाः ये लो मेरा कर्मपत्र पढ़ो। मुझे विश्वास था कि मैं मिलने वाला हूँ अपने ह़िसाब से। तो वह अपने मन चाहे सुख में होगा। उच्च श्रेणी के स्वर्ग में। जिसके फलों के गुच्छे झुक रहे होंगे। (उनसे कहा जायेगाः) खाओ तथा पियो आनन्द लेकर उसके बदले, जो तुमने किया है विगत दिनों (संसार) में।’" (क़ुरआन 69:19-24)
फिर अच्छे कर्मों के लेखेजोखे को तौला जाएगा, शाब्दशः, यह निर्धारित करने के लिए कि क्या यह व्यक्ति के बुरे कर्मों से अधिक है, ताकि पुरस्कार अथवा दंड तदनुसार दिया जा सके।
"और हम पुनरुत्थान के दिन न्याय का तराजू रखते हैं, ताकि किसी भी आत्मा के साथ अन्याय न हो। और यदि राई के दाने के तौल [कोई भी कर्म] जितने छोटे कर्म भी हैं, तो हम उसका हिसाब करेंगे। और हम उनका न्याय करने के लिए पर्याप्त सक्षम हैं।" (क़ुरआन 21:47)
"जिसने एक परमाणु जितना भी अच्छा काम किया होगा, वह देखेगा कि उसे (उसके श्रम का अच्छा फल) प्राप्त होगा।" (क़ुरआन 99:7)
"पुनरुत्थान के दिन [विश्वास के साक्ष्य के बाद] किसी व्यक्ति के तराजू में जो वस्तु सबसे भारी होगी, वह है अच्छे आचरण, और ईश्वर घृणा करता है अश्लील, अनैतिक व्यक्ति से।" (अल-तिर्मिज़ी)
आस्थावान लोग पैगंबर मुहम्मद को समर्पित एक विशेष जलाशय से अपनी प्यास बुझाएंगे। जो कोई उस जल को पीएगा, उसे फिर कभी प्यास नहीं लगेगी। इसकी सुंदरता, विशालता और मधुर, उत्तम स्वाद का वर्णन पैगंबर द्वारा विस्तार से किया गया है।
आस्थाहीनों को नर्क में धकेल देने के बाद, इस्लाम में विश्वास करने वाले - उनमें से पापी और पवित्र दोनों - और साथ ही पाखंडी लोग विशाल मैदान में बचेंगे। उनके और स्वर्ग की बीच नर्क की आग पर से गुजरता हुआ उर अँधेरे में डूबा हुआ एक लंबा पुल होगा।[14]आस्थावान लोग नर्क की गर्जना करती आग को तेजी से पार कर पायेंगे, ईश्वर प्रदत्त ‘प्रकाश’ उन्हें शाश्वत घर का मार्ग दिखायेगा:
"उस दिन तुम आस्थावान पुरुषों और आस्थावान स्त्रियों को देखोगे, प्रकाश उनके आगे-आगे होगा और उनके दाहिने ओर होगा, [यह कहा जाएगा], 'आज तुम्हें शुभ समाचार है उन बाग़ों का जिनके नीचे नदियाँ बहती हैं, जिनमें तू सदा रहेगा।' यही महान सफलता है।” (क़ुरआन 57:12)
अंत में, पुल पार करने के बाद, आस्थावानों को स्वर्ग में प्रवेश करने से पहले शुद्ध किया जाएगा। आस्थावानों के बीच सभी विवाद सुलझा दिए जाएंगे ताकि कोई पुरुष दूसरे के विरुद्ध द्वेषभाव न रखे।[15]
फ़ुटनोट:
[1] इस अर्थ में कि वह ईश्वर की सजा से नहीं डरता और पाप करता है।
[2]सिलसिला अल-सहीह।
[3]सहीह अल-बुख़ारी।
[4]सहीह अल-बुख़ारी।
[5]मिशकात।
[6]सहीह मुस्लिम।
[7]मुसनद।
[8]सहीह मुस्लिम।
[9]जामी अल-सघीर।
[10]सहीह अल-बुख़ारी।
[11]इब्न मजह।
[12]मिशकात।
[13] सहीह अल-बुख़ारी । एक संकेत कि वे स्वर्ग के निवाई हैं, उन लोगों के विपरीत जिन्हें उनके बाएं हाथों में या उनकी पीठ के पीछे उनके कर्मों का अभिलेख दिया जाएगा।
[14] सहीह मुस्लिम।
[15]सहीह अल-बुख़ारी।
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