क्या हम ईश्वर को देख सकते हैं?
विवरण: क्या ईश्वर को इस जीवन में पैगंबर, संत और आम लोगो ने देखा है, और क्या ईश्वर को परलोक मे देखा जा सकता है।
- द्वारा IslamReligion.com
- पर प्रकाशित 04 Nov 2021
- अंतिम बार संशोधित 04 Nov 2021
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मानव का दिमाग एक सच्चा चमत्कार है, लेकिन कुछ चीज़ों में यह सीमित है। ईश्वर उन सभी चीज़ों से अलग है जिसके बारे में दिमाग सोच सकता है या कल्पना कर सकता है, इसलिए यदि दिमाग ईश्वर को चित्रित करने की कोशिश करेगा तो वह भ्रमित हो जाएगा। फिर भी, ईश्वर की विशेषताओं को समझना संभव है जिसके लिए हमें कोई कल्पना करने की जरुरत नही है। उदाहरण के लिए, ईश्वर के नामों में से एक नाम अल-गफ्फार है, जिसका अर्थ है कि वह सभी पापों को क्षमा करता है। इसे हर कोई आसानी से समझ सकता है क्योंकि इंसान का दिमाग ईश्वर के बारे में इसी तरह सोचता है। इसी मुद्दे की गलत समझ के कारण ईश्वर पर यहूदी और ईसाई धर्म की शिक्षाएं आंशिक रूप से भ्रमित हैं। यहूदियों की तौरात बताती है कि ईश्वर मनुष्य के समान है,
"तब ईश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार, अपनी समानता में बनाएं... तब ईश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार बनाया।" (उत्पत्ति 1:26-27)
इसके अलावा, कुछ चर्चों में एक सफेद दाढ़ी वाले बूढ़े व्यक्ति की मूर्तियां या चित्र होते हैं जिसे ईश्वर के रूप में चित्रित किया जाता है। इनमें से कुछ माइकल एंजेलो के बनाये हुए चित्र हैं, जिसने चित्रों में एक देवता के चेहरे और हाथ को चित्रित किया - एक ताकतवर दिखने वाला बूढ़े के रूप में।
इस्लाम में ईश्वर के चित्रों को बनाना असंभव है, और अविश्वास को दर्शाता है, क्योंकि ईश्वर क़ुरआन में हमें बताता है कि कुछ भी उसके जैसा नही है:
"उसके जैसा कुछ नहीं है और वह सब कुछ सुनने और जानने वाला है।" (क़ुरआन 42:11)
"और न उसके बराबर कोई है।" (क़ुरआन 112:4)
ईश्वर को देखने के लिए मूसा का अनुरोध
ईश्वर दर्शन को आंखें सहन नहीं कर सकती हैं। वह हमें क़ुरआन में बताता है:
"आँखे उसे देख नही सकती, जबकी वह सब कुछ देख रहा है।" (क़ुरआन 6:103)
मूसा से ईश्वर ने बात की और महान चमत्कार दिए, और उनको ईश्वर ने अपना पैगंबर चुना। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने सोचा कि, चूंकि ईश्वर उनसे बात करता है, तो वह वास्तव में ईश्वर को देख सकते हैं। यह कहानी क़ुरआन मे है, जहां ईश्वर हमें बताता है कि क्या हुआ था:
"और जब मूसा हमारे निर्धारित समय पर आ गया और उसके पालनहार ने उससे बात की, तो उसने कहा: 'हे मेरे पालनहार! मेरे लिए अपने आपको दिखा दे, ताकि मैं तेरा दर्शन कर लूं।' ईश्वर ने कहा: 'तू मेरा दर्शन नहीं कर सकेगा। परन्तु इस पर्वत की ओर देख! यदि ये अपने स्थान पर स्थिर रह गया, तो तू मेरा दर्शन कर सकेगा।' फिर जब उसका पालनहार पर्वत की ओर प्रकाशित हुआ, तो उसे चूर-चूर कर दिया और मूसा निश्चेत होकर गिर गया। फिर जब चेतना आयी, तो उसने कहाः 'तू पवित्र है! मैं तुझसे क्षमा मांगता हूं। तथा मैं सर्व प्रथम विश्वास करने वालों में से हूं।'" (क़ुरआन 7:143)
ईश्वर ने यह स्पष्ट कर दिया कि महान पैगंबर मूसा सहित कोई भी ईश्वर के दर्शन नहीं कर सकता है, क्योंकि ईश्वर इतना महान है कि इस जीवन में मानव की आंखों से नहीं देखा जा सकता। क़ुरआन के अनुसार, मूसा ने महसूस किया कि उनका अनुरोध गलत था; इसलिए, उन्होंने इस अनुरोध के लिए ईश्वर से क्षमा मांगी।
क्या पैगंबर मुहम्मद ने इस जीवन में ईश्वर को देखा था?
पैगंबर मुहम्मद ने आसमान के रस्ते एक चमत्कारी यात्रा की और ईश्वर से मिले। लोगों को लगा कि चूंकि उस यात्रा में पैगंबर मुहम्मद ने ईश्वर से बात की थी, उन्होंने शायद ईश्वर को देखा भी होगा। उनके साथियों में से एक अबू दहर ने इस बारे में पूछा। पैगंबर ने उत्तर दिया:
"वहां सिर्फ प्रकाश था, मैं उन्हे कैसे देख सकता था?" (सहीह मुस्लिम)
वह प्रकाश क्या था जो उन्होंने देखा? पैगंबर ने बताया:
"निश्चय ही ईश्वर न तो सोता है और न ही सोना उसे शोभा देता है। वह स्तर को कम करने और बढ़ाने वाला है। उसके पास रात के कर्म दिन के कर्मों से पहले और दिन के कर्म रात के कर्मों से पहले पहुंच जाते हैं, और उसका परदा प्रकाश है।” (सहीह मुस्लिम)
आध्यात्मिक घटनाओं में ईश्वर के दर्शन
कुछ लोग, जिनमें कुछ मुसलमान भी हैं, दावा करते हैं कि उन्होंने कुछ आध्यात्मिक घटनाओं में ईश्वर को देखा है। कुछ सामान्य घटनाएं है प्रकाश देखना, या किसी तेजस्वी को सिंहासन पर बैठे देखना। मुसलमानों के मामले में, इस तरह की घटना आमतौर पर सलाह (प्रार्थना) और उपवास जैसी बुनियादी इस्लामी प्रथाओं के समय हुई है, एक गलत राय के तहत कि ऐसी प्रथाएं केवल आम लोगों के लिए हैं जिनके साथ ऐसी घटनाएं नही हुई है।
तो इस्लाम इस बारे में क्या बताता है? इस्लाम हमें बताता है कि वो शैतान होता है जो ईश्वर होने का ढोंग करता है ताकि अज्ञानी लोगों को धोखा दे सके और वो ऐसे अनुभवों में विश्वास करके भटक जाएं। इस्लाम के मूलभूत आधारों में से एक यह है कि पैगंबर मुहम्मद को बताए गए कानून को बदला या रद्द नहीं किया जा सकता है। ईश्वर ने कुछ ऐसा नहीं बनाया जो किसी के लिए वैध हो और अन्य के लिए अवैध, और न ही वह ऐसी घटनाओं से लोगों को अपना कानून बताता है। बल्कि, पैगंबरो को रहस्योद्घाटन की एक उचित प्रणाली से दैवीय कानून बताया गया है, एक ऐसी प्रणाली जो पैगंबर मुहम्मद (ईश्वर के अंतिम पैगंबर) के आने के बाद बंद हो गई है।
परलोक के जीवन में ईश्वर को देखना
इस्लामी सिद्धांत के अनुसार, ईश्वर को इस जीवन में नहीं देखा जा सकता है, लेकिन विश्वासियों को परलोक में ईश्वर दिखाई देंगे; लेकिन तब भी, ईश्वर को पूर्ण रूप से नहीं देखा जा सकेगा। यह क़ुरआन और पैगंबर की सुन्नत में स्पष्ट रूप से कहा गया है। पैगंबर ने कहा,
"पुनरुत्थान का दिन वह पहला दिन होगा जब कोई भी आंख उस ताकतवर और महान ईश्वर को देखेगा।"[1]
पुनरुत्थान के दिन की घटनाओं का वर्णन करते हुए ईश्वर क़ुरआन में कहता है:
"बहुत से चेहरे उस दिन प्रफुल्ल होंगे। अपने पालनहार की ओर देख रहे होंगे।" (क़ुरआन 75:22-23)
पैगंबर से पूछा गया कि क्या हम पुनरुत्थान के दिन ईश्वर को देखेंगे। उन्होंने उत्तर दिया, "क्या पूर्ण चांद को देखने से आपको कोई नुकसान होता है?" [2] उन्होंने ने कहा 'नहीं।' फिर पैगंबर ने कहा, "निश्चय ही तुम ईश्वर को भी वैसे ही देखोगे।" एक अन्य हदीस में पैगंबर ने कहा, "निश्चित ही आप में से प्रत्येक उस दिन ईश्वर को देखेगा जब आप उनसे मिलोगे, और उनके और आपके बीच कोई पर्दा या अनुवादक नहीं होगा।" [3] स्वर्ग में रहने वाले लोगो के लिए ईश्वर को देखना एक अतिरिक्त कृपा होगी। वास्तव में, एक आस्तिक के लिए ईश्वर को देखने का आनंद स्वर्ग के सभी सुखों से अधिक होगा। दूसरी ओर, अविश्वासी लोग ईश्वर को देखने से वंचित रह जाएंगे, और यह उनके लिए नरक के सभी दर्द और पीड़ा से बड़ी सजा होगी।
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