मूसा की माता की कहानी से सबक

रेटिंग:
फ़ॉन्ट का आकार:
A- A A+

विवरण: क़ुरआन की कहानियां हमारे सबक लेने के लिए हैं। इस लेख में, हम ईश्वर के सबसे महान दूतों में से एक की मां से कई सबक सीखेंगे, खासकर ईश्वर पर निर्भरता के बारे में और उसके फायदे के बारे मे।

  • द्वारा Raiiq Ridwan (understandquran.com) [edited by IslamReligion.com]
  • पर प्रकाशित 04 Nov 2021
  • अंतिम बार संशोधित 04 Nov 2021
  • मुद्रित: 0
  • देखा गया: 2,361 (दैनिक औसत: 2)
  • रेटिंग: अभी तक नहीं
  • द्वारा रेटेड: 0
  • ईमेल किया गया: 0
  • पर टिप्पणी की है: 0
खराब श्रेष्ठ

Lessons-from-the-Story-of-the-Mother-of-Moses.jpgयह लेख में मूसा (उन पर शांति हो) की माँ की कहानी बताएंगे और उससे सबक लेंगे, क्योंकि उन्होंने अपने बच्चे को लगभग आसन्न मृत्यु से बचाने का प्रयास किया। हम सिर्फ क़ुरआन की सूरह अल-क़सस (अध्याय 28) के छंदों पर ध्यान देंगे, हालांकि क़ुरआन में अन्य जगहों पर भी इस कहानी का उल्लेख किया गया है।

"और हमने वह़्यी की मूसा की माता की ओर कि उसे दूध पिलाती रह और जब तुझे उसपर भय हो, तो उसे सागर में डाल दे और भय न कर और न चिन्ता कर, निःसंदेह, हम वापस लायेंगे उसे तेरी ओर और बना देंगे उसे दूतों में से। तो ले लिया उसे फ़िरऔन के कर्मचारियों ने ताकि वह बने उनके लिए शत्रु तथा दुःख का कारण। वास्तव में, फ़िरऔन तथा हामान और उनकी सेनाएँ दोषी थीं। और फ़िरऔन की पत्नि ने कहाः ये मेरी तथा आपकी आँखों की ठण्डक है। इसे वध न कीजिये, संभव है हमें लाभ पहुँचाये या उसे हम पुत्र बना लें और वे समझ नहीं रहे थे। और हो गया मूसा की माँ का दिल व्याकूल, समीप था कि वह उसका भेद खोल देती, यदि हम आश्वासन न देते उसके दिल को, ताकि वह हो जाये विश्वास करने वालों में। तथा (मूसा की माँ ने) कहा उसकी बहन से कि तू इसके पीछे-पीछे जा। और उसने उसे दूर ही दूर से देखा और उन्हें इसका आभास तक न हुआ। और हमने अवैध (निषेध) कर दिया उस (मूसा) पर दाइयों को इससे पूर्व। तो उस (की बहन) ने कहाः क्या मैं तुम्हें न बताऊँ ऐसा घराना, जो पालनपोषण करें इसका तुम्हारे लिए तथा वे उसके शुभचिनतक हों? तो हमने फेर दिया उसे उसकी माँ की ओर, ताकि ठण्डी हो उसकी आँख और चिन्ता न करे और ताकि उसे विश्वास हो जाये कि ईश्वर का वचन सच है, परन्तु अधिक्तर लोग विश्वास नहीं रखते।" (क़ुरआन 28:7-13)

फ़िरौन ने एक स्वप्न देखा जिसमें उसने देखा कि दास वर्ग का एक बच्चा (इस्राईल के बच्चे) उसे उखाड़ फेंकेगा। और उसके बाद, उसने इस्राईल के बच्चों के लिए पैदा हुए हर लड़के की हत्या करना शुरू कर दिया। यह ऐसे समय में था जब मूसा का जन्म हुआ था, और इन सब के बीच में, ईश्वर ने इस बच्चे को अन्य सभी के ऊपर चमत्कारिक रूप से बचाए जाने के लिए चुना। इस प्रकार, ईश्वर ने अपने दिव्य निर्देश मूसा की माता को भेजे।

पहला सबक: ईश्वर की आज्ञा का पालन करें, अपने हृदय को आराम दें, और ईश्वर के वादे पर भरोसा रखें

ईश्वर दो आज्ञा देता है—उसे दूध पिलाओ और उसे टोकरी में रखो और नदी में फेंक दो, मन के लिए दो युक्ति—डरो मत और उदास मत हो, और दो वादे —कि वह लौटा दिया जाएगा और वह एक ईश्वर का दूत हो जाएगा। ईश्वर ने दो आदेश दिए, एक जो समझ में आया (स्तनपान), और एक जिसका कोई मतलब नहीं था (एक बच्चे को नदी में फेंकना !!?) मूसा की माँ ने नहीं चुना। उसने परवाह किए बिना अपने ईश्वर की आज्ञा का पालन किया, और वह भयभीत महसूस कर रही थी, जो सामान्य था, और इस प्रकार ईश्वर ने उसे दो सलाह और दो वादे दिए। यहां हम जो सबक सीखते हैं, वह यह है कि यह कैसा भी हो सकता है, सबसे कठिन समय में चाहे ही यह "अजीब" लग रहा हो और दिख रहा हो, ये आगे बढ़ने का रास्ता है। ईश्वर जो कहता है उसके आधार पर सही निर्णय लें, और जान लें कि यदि आप ईश्वर की आज्ञा का पालन करते हैं, तो इसमें डरने की कोई बात नहीं है और दुखी होने की कोई बात नहीं है, और यह कि ईश्वर का वादा सच है, भले ही आप इसे इस समय ना समझ सकें। क्या मूसा की माँ को इस बात का अंदाज़ा था कि उसका बेटा भी ज़िंदा रहेगा? एक दूत बनने और उसके पास लौटने की बात तो दूर है?

दूसरा सबक: अंधेरे की गहराई मे भी ईश्वर प्रकाश ला सकते हैं।

फिरौन के कार्यों के कारण हजारों माताएं रोई होंगी। उन्होंने दुआ (प्रार्थना) की होगी कि ईश्वर इस अत्याचारी को नष्ट कर दें (वे उस समय के विश्वासी थे)। और फिर, ईश्वर ने उस बच्चे को लाया, जो अत्याचारी का सफाया करेगा, अत्याचारी के घर में ही। कुफ्र (अविश्वास) के गहरे गहरे गड्ढों से, फिरौन के महल से, ईश्वर ने प्रकाश (मूसा) को बाहर निकाला। जिस आदमी ने हजारों बच्चों को मार डाला, वह उस एक बच्चे को नहीं मार सका जो उसे नष्ट करने वाला था। जब ईश्वर किसी की रक्षा करते हैं, तो कोई भी उसे नुकसान नहीं पहुंचा सकता, भले ही दुनिया कितनी भी कोशिश करे। वास्तव में, ईश्वर ने इसे इस तरह से बनाया कि फिरौन की पत्नी, आसिया को बच्चे से प्यार हो गया और उसे एक बेटे के रूप में अपनाया। ईश्वर ने इसके द्वारा गुलामी में फंसे लाखों इस्राइलियों की हज़ारों माताओं की याचना का उत्तर दिया। उसकी योजनाएँ अद्वितीय हैं, उसकी योजनाएँ हमारी समझ से परे हैं, वह योजनाकारों में सर्वश्रेष्ठ है। जब आप अंधेरे की गहराइयों में हों, याद रखो कि ईश्वर वहां से भी प्रकाश निकाल सकता है, और यह कि ईश्वर के पास एक योजना है

तीसरा सबक: जब संदेह हो, तो एक दूसरी योजना भी रखें लेकिन फिर भी ईश्वर पर भरोसा रखें।

मूसा की माता का हृदय ठण्डा हो गया था, जैसा किसी भी माता का हृदय होता है। वह सब कुछ बताने वाली थी ताकि वह अपने बच्चे को एक बार फिर देख सके। यह अतार्किक भावनाओं का उदाहरण है। हां, वह अपने बच्चे को देख सकती है, लेकिन इसका मतलब निश्चित रूप से मौत होती! इसलिए, वह अगली संभावित योजना चुनती है, जो तार्किक थी और फिर भी उसके दिल को सुकून देती थी। वह अपनी बेटी को अपने भाई को देखने के लिए भेजती है - नदी में टोकरी के पीछे। मूसा की बहन, मरियम लगभग डर से देख रही थी, जब टोकरी नीचे चली गई और सिंह की मांद में, फिरौन के महल में चली गई! वह यह पता लगाने के लिए पास गई कि स्थिति कैसी है, और पता चला कि मूसा रो रहा था क्योंकि वह भूखा था, लेकिन उसने अन्य औरतो का स्तनपान करने से मना कर दिया। उसकी बहन अंदर गई और अपनी मां की सेवाओं की पेशकश की। ईश्वर पर भरोसा करते हुए, और योजना बी के साथ, मूसा की माँ ने सुनिश्चित किया कि उसका बच्चा सुरक्षित रहे।

चौथा सबक: ईश्वर ना केवल अपना वादा पूरा करता है, बल्कि उससे भी अधिक देता है

ईश्वर ने मूसा की माँ से वादा किया था कि वह अपने बेटे से फिर मिलेगी। उसे दो आज्ञाएँ दी गईं और उसने उन्हें पूरा किया। और फिर, ईश्वर ने अपनी दया और परोपकार से, माँ को उसके बच्चे से फिर मिला दिया। अपने बेटे को मरने से बचाने की कोशिश में जान देने के बजाय, अब वह उन्हीं लोगों द्वारा संरक्षित की जा रही थी जो उसे मारने वाले थे। इसके अलावा, वह अब महल में एक कर्मचारी थी और उसे वह करने के लिए भुगतान किया जा रहा था, जो वह वैसे भी कर सकती थी—अपने बेटे की देखभाल! ईश्वर ने उसे उसके बच्चे की वापसी का वादा किया, और ईश्वर ने ना केवल अपना वादा पूरा किया बल्कि उसे उससे भी अधिक दिया। जैसा कि ईश्वर क़ुरआन मे कहता है, "जो कोई डरता हो ईश्वर से, तो वह बना देगा उसके लिए कोई निकलने का उपाय। और उसे जीविका प्रदान करेगा उस स्थान से, जिसका उसे अनुमान भी न हो तथा जो ईश्वर पर निर्भर रहेगा, तो वही उसके लिए पर्याप्त है।।" (क़ुरआन 65:2-3)

खराब श्रेष्ठ

टिप्पणी करें

  • (जनता को नहीं दिखाया गया)

  • आपकी टिप्पणी की समीक्षा की जाएगी और 24 घंटे के अंदर इसे प्रकाशित किया जाना चाहिए।

    तारांकित (*) स्थान भरना आवश्यक है।

सर्वाधिक देखा गया

प्रतिदिन
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
कुल
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)

संपादक की पसंद

(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)

सूची सामग्री

आपके अंतिम बार देखने के बाद से
यह सूची अभी खाली है।
सभी तिथि अनुसार
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)

सबसे लोकप्रिय

सर्वाधिक रेटिंग दिया गया
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
सर्वाधिक ईमेल किया गया
सर्वाधिक प्रिंट किया गया
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
इस पर सर्वाधिक टिप्पणी की गई
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)

आपका पसंदीदा

आपकी पसंदीदा सूची खाली है। आप लेख टूल का उपयोग करके इस सूची में लेख डाल सकते हैं।

आपका इतिहास

आपकी इतिहास सूची खाली है।

Minimize chat