संक्षिप्त में स्वर्ग की खुशियां

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विवरण: क़ुरआन में वर्णित और पैगंबर मुहम्मद द्वारा बताये गए स्वर्ग की एक झलक।

  • द्वारा islam-guide.com
  • पर प्रकाशित 04 Nov 2021
  • अंतिम बार संशोधित 04 Nov 2021
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ईश्वर ने क़ुरआन में कहा है:

"और (ऐ मुहम्मद) उन लोगों को खुशखबरी दे दो जिन्होंने विश्वास किया और अच्छे काम किए, कि उनके पास ऐसे बगीचे (स्वर्ग) होंगे जिनमें नदियां बहती हैं ..." (क़ुरआन 2:25)

ईश्वर ने यह भी कहा है:

"दौड़ो और एक-दूसरे से आगे बढ़ने की कोशिश करो अपने ईश्वर की क्षमा और उस स्वर्ग के लिए जिसकी चौड़ाई आसमान और जमीन की चौड़ाई के बराबर है, जो उन लोगों के लिए बनाई गई है जो ईश्वर और उसके पैगंबरो पर विश्वास करते हैं ..." (क़ुरआन 57:21)

पैगंबर मुहम्मद (ईश्वर की दया और कृपा उन पर बनी रहे) ने हमें बताया कि स्वर्ग के निवासियों में सबसे निचले श्रेणी के पास इस दुनिया से दस गुनी बड़ी दुनिया होगी,[1] और जो कुछ भी वह चाहेगा उसके पास दस गुना होगा।[2] इसके अलावा पैगंबर मुहम्मद ने कहा: "पैर के आकार के बराबर स्वर्ग की एक जगह दुनिया और इसकी चीज़ों से बेहतर होगी।"[3] उन्होंने यह भी कहा: "स्वर्ग में ऐसी चीजें हैं जिन्हें किसी आंख ने नहीं देखा होगा, न किसी कान ने सुना होगा, और न ही किसी मनुष्य ने सोचा होगा।"[4] उन्होंने यह भी कहा: "दुनिया का सबसे दुखी आदमी जो स्वर्ग में जाने वाला होगा उसको एक बार स्वर्ग में डुबकी लगवाई जाएगी। और फिर उससे पूछा जाएगा, 'आदम के पुत्र, क्या तुमने कभी किसी दुख का सामना किया है? क्या तुमने कभी किसी कठिनाई का अनुभव किया?' तो वह कहेगा, 'नहीं, ईश्वर की कसम, हे ईश्वर! मैंने कभी किसी दुख का सामना नहीं किया, और मैंने कभी किसी कठिनाई का अनुभव नहीं किया।'”[5]

यदि आप स्वर्ग में जाते हैं तो आप बीमारी, दर्द, उदासी या मृत्यु के बिना एक बहुत ही सुखी जीवन व्यतीत करेंगे; ईश्वर आपसे प्रसन्न होंगे; और आप सदा वहीं रहोगे। ईश्वर ने क़ुरआन में कहा है:

"लेकिन जिन लोगों ने विश्वास किया और अच्छे काम किए, हम उन्हें उन बगीचों (स्वर्ग) में डालेंगे जिनमें नदियां बहती हैं, जिनमे वो हमेशा रहेंगे..." (क़ुरआन 4:57)



फुटनोट:

[1]सहीह मुस्लिम, #186, और सहीह अल-बुखारी, #6571 में वर्णित है।

[2]सहीह मुस्लिम, #188, और मुसनद अहमद, #10832 में वर्णित है।

[3]सहीह अल-बुखारी, #6568, और मुसनद अहमद, #13368 में वर्णित है।

[4]सहीह मुस्लिम, #2825, और मुसनद अहमद, #8609 में वर्णित है।

[5]सहीह मुस्लिम, #2807, और मुसनद अहमद, #12699 में वर्णित है।

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